वंदना
मै प्रथम गणेश मनाती हू
आवाहन कराती हूँ तेरा
पूजा की थाल सजाती हूँ
आ देख दशा लो विश्व यहा
जलता है दीप की बाती से
मताए खून बहाती है
अपनी ही दूध की छाती से
जिन कोमल कोमल हाथो से
फूलो की माला चढ़नी थी
जपना था जिनको राम नाम
गीता की पुस्तक पढनी थी
जिन्हें विद्या आलय जाना था
मदिरालय जाकर बैठे है
जिन्हें देश धर्म पर मिटना था
जेहाद छेडकर बैठे है
ऐसी व्यथित घटित घटना
मैतुमको अर्पण करती हूँ
मै प्रथम गणेश मनाती हू
मधु त्रिपाठी
MM
A very beautiful prayer. Please keep it up.
ReplyDelete-Kamal jaiswal,
Reliance
is vandana ko samajhane k liye thanks
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